बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला लेते हुए राज्य के 1.11 करोड़ पेंशनधारियों के खातों में सीधे ₹1227 करोड़ की राशि ट्रांसफर कर दी है। यह राशि 11 जुलाई 2025 को लाभार्थियों को भेजी गई, जिससे राज्य के बुजुर्ग, विधवा और दिव्यांग नागरिकों को अब हर महीने ₹1100 की पेंशन मिलना शुरू हो गई है। यह पहली बार है जब राज्य सरकार ने पेंशन की राशि को ₹400 से बढ़ाकर सीधे ₹1100 प्रति माह कर दिया है।
Article Contents
यह कदम बिहार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को मज़बूती देने की दिशा में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। सरकार का दावा है कि यह बदलाव गरीब और ज़रूरतमंद तबकों की आर्थिक स्थिति सुधारने में अहम भूमिका निभाएगा।
क्या है इस पेंशन योजना की खासियत?
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अगुवाई में राज्य सरकार ने यह तय किया है कि अब से पेंशन की राशि हर महीने की 10 तारीख को लाभार्थियों के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर कर दी जाएगी। इस बदलाव का लाभ मुख्य रूप से तीन वर्गों को मिलेगा:
-
बुजुर्ग नागरिक (वरिष्ठ नागरिक)
-
विधवा महिलाएं
-
दिव्यांग व्यक्ति
अब तक इन लाभार्थियों को मात्र ₹400 की पेंशन मिलती थी, जो बढ़ाकर अब ₹1100 कर दी गई है — यानी लगभग तीन गुना वृद्धि।
आंकड़ों में समझिए योजना का प्रभाव
श्रेणी | विवरण |
---|---|
कुल लाभार्थी | 1.11 करोड़ से अधिक |
ट्रांसफर की गई कुल राशि | ₹1227 करोड़ |
नई पेंशन राशि | ₹1100 प्रति माह |
पहले की पेंशन राशि | ₹400 प्रति माह |
भुगतान की तिथि | हर महीने की 10 तारीख |
यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब महंगाई और बेरोजगारी के दौर में समाज के कमजोर वर्गों को आर्थिक सहारा मिलना बेहद जरूरी है।
पूरे बिहार में चला जागरूकता और ट्रांजेक्शन अभियान
सरकार ने इस कार्यक्रम को महज़ एक राशि ट्रांसफर तक सीमित नहीं रखा। राज्य के सभी 38 जिलों, प्रखंड मुख्यालयों, पंचायत भवनों और 43,000 से अधिक राजस्व गांवों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए।
इन कार्यक्रमों का उद्देश्य था:
-
लाभार्थियों को योजना की जानकारी देना
-
पेंशन के ट्रांसफर की पुष्टि करना
-
लाभार्थियों से सीधे संवाद करना
-
किसी भी प्रकार की शिकायत का समाधान करना
सरकार का कहना है कि इन कार्यक्रमों के ज़रिए 60 लाख से अधिक लोगों की भागीदारी हुई, जो इस योजना की सफलता को दर्शाता है।
कैसे हुई योजना की तैयारी?
इस ऐतिहासिक फैसले के सफल क्रियान्वयन के लिए सरकार ने 1 जुलाई को एक उच्चस्तरीय बैठक की थी, जिसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव अमृतलाल मीण ने की थी। इस बैठक में सभी जिलाधिकारियों (DMs) को स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि:
-
सभी लाभार्थियों को समय पर भुगतान हो
-
किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार या देरी न हो
-
डिजिटली ट्रैकिंग की सुविधा रहे
-
शिकायतों के निवारण के लिए स्थानीय स्तर पर टीम तैयार हो
इसके अलावा सरकार ने डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) सिस्टम के माध्यम से इस राशि को सीधे लाभार्थियों के खातों में भेजा, जिससे पारदर्शिता बनी रहे।
सामाजिक और राजनीतिक असर
इस फैसले का असर केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। आइए समझते हैं क्यों:
1. गरीबों को आर्थिक संबल
बुजुर्ग, विधवा और दिव्यांग जैसे वर्गों के लिए ₹400 की राशि अपर्याप्त थी। ₹1100 की नई राशि उन्हें स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होगी।
2. महंगाई के दौर में राहत
दवाइयों, राशन और अन्य आवश्यक खर्चों के लिए अब ये वर्ग दूसरों पर निर्भर नहीं रहेंगे।
3. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती
जब ₹1227 करोड़ जैसी बड़ी राशि सीधे गांवों और कस्बों में पहुंचेगी, तो इसका सीधा असर स्थानीय बाजारों और लघु व्यापारियों पर पड़ेगा।
4. आगामी चुनावों पर असर
बिहार में बदलते राजनीतिक समीकरणों के बीच यह फैसला जनता को लुभाने वाली नीतियों में से एक माना जा रहा है। इससे नीतीश सरकार की लोकप्रियता में इज़ाफा हो सकता है।
लाभार्थियों की प्रतिक्रिया
कई लाभार्थियों ने इस योजना को “समय की जरूरत” बताया है। पटना, गया, मधुबनी और पूर्णिया जैसे जिलों से मिली प्रतिक्रिया में लोगों ने बताया कि यह राशि उनके जीवन में एक सकारात्मक बदलाव ला सकती है।
“अब कम से कम अपने खर्चे खुद उठा सकती हूं। पहले ₹400 में कुछ नहीं हो पाता था। ₹1100 मिलने से दवा, राशन और थोड़ा बहुत बचत भी हो जाएगी,” — शांति देवी, 70 वर्षीय विधवा, दरभंगा
भविष्य की योजनाएं क्या हैं?
राज्य सरकार ने संकेत दिए हैं कि आने वाले महीनों में सामाजिक कल्याण की दिशा में और भी योजनाएं लाई जाएंगी। इनमें शामिल हो सकते हैं:
-
और अधिक लाभार्थियों का नामांकन
-
पेंशन वितरण की निगरानी के लिए मोबाइल ऐप
-
शिकायत निवारण के लिए टोल फ्री हेल्पलाइन
-
पंचायत स्तर पर वेरिफिकेशन कैंप
सरकार की कोशिश है कि “कल्याणकारी योजनाओं की पहुंच अंतिम व्यक्ति तक हो” — यही सुशासन का असली मकसद है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा लिया गया यह फैसला सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक समावेश की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। पेंशन की राशि में तीन गुना वृद्धि कर राज्य सरकार ने न केवल ज़रूरतमंदों को राहत दी है, बल्कि सिस्टम की जवाबदेही और पारदर्शिता भी सुनिश्चित की है।
बिहार की यह पहल निश्चित रूप से अन्य राज्यों के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकती है।
Discover more from KKN Live
Subscribe to get the latest posts sent to your email.